भारत सरकार की वस्तु एवं सेवा कर (GST) एक अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है | जिस तरह भारत में दो स्तर की सरकार चलती हैं एक केंद्र स्तर की सरकार तथा दूसरी राज्य स्तर की सरकार, उसी तरह वस्तु एवं सेवा कर (GST) को भी दोनों स्तर पर लागू किया गया हैं एक केंद्र स्तर पर तथा दूसरा राज्य स्तर पर| भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) को चार भागो में विभाजित किया गया हैं :-
एस जी एस टी का पूरा नाम राज्य वस्तु एवं सेवा कर (State Goods and Service Tax) हैं| यह कर राज्य सरकार द्वारा राज्य के अंदर वस्तु एवं सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता हैं | इस कर को राज्यान्तरिक (Intrastate) कर भी कहते हैं | यह कर राज्य सरकार द्वारा एकत्रित किया जाता हैं |
सी जी एस टी का पूरा नाम केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (Central Goods and Service Tax) हैं , यह कर केंद्र सरकार द्वारा राज्य के अंदर वस्तु एवं सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता हैं | इसको राज्यान्तरिक (Intrastate) कर भी कहते हैं| यह कर केंद्र सरकार द्वारा एकत्रित किया जाता हैं |
यूटी जी एस टी का पूरा नाम केंद्र शासित प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर (Union Territory Goods and Service Tax) हैं | यह कर केंद्र शासित प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के अंदर वस्तु एवं सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाने वाला कर हैं | इस कर को राज्यान्तरिक कर भी कहते हैं | यह कर केंद्र शासित प्रदेश सरकार द्वारा एकत्रित किया जाता हैं |
आई जी एस टी का पूरा नाम एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (Integrated Goods and Service Tax) हैं | यह कर केंद्र सरकार द्वारा राज्य के बाहर वस्तु एवं सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाने वाला कर हैं,इस कर को राज्यों के बीच का कर भी कहते हैं | यह कर केंद्र सरकार द्वारा एकत्रित किया जाता हैं |
भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) को तीन तरह के करो में समायोजित किया गया हैं | पहला सी जी एस टी ( Central Goods and Service Tax ) हैं जिसने उन सभी करो की जगह ले ली हैं जो केंद्र सरकार द्वारा लगाए जाते हैं, दूसरा एस जी एस टी (State Goods and Service Tax) हैं जिसने उन सभी करो की जगह ले ली हैं जो राज्य सरकार द्वारा लगाए तथा एकत्र किये जाते हैं, तीसरा आई जी एस टी (Integrated Goods and Service Tax) हैं जो सी जी एस टी एवं एस जी एस टी का टोटल हैं |
सी जी एस टी एवं एस जी एस टी राज्य के अंदर वस्तु एवं सेवाओं की आपूर्ति (Supply) पर लगाया जाने वाले कर हैं जबकि आई जी एस टी तभी लगता हैं जब राज्य के बाहर आपूर्ति (Supply) की जाती हैं |
वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम के Sec. 2(52) में “ माल या वस्तु “ को समझाया गया हैं |
वस्तु (Goods) की व्याख्या में निम्न को शामिल किया गया हैं –वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम के Sec. 2(102) में “ सेवा (Service)” को परिभाषित किया गया हैं| सेवा की परिभाषा में वस्तु, पैसे, प्रतिभूति को छोड़कर बाकी सब कुछ आते हैं लेकिन इसमें पैसे (Money) के उपयोग से संबंधित गतिविधियाँ शामिल हैं जैसे नकदी द्वारा या किसी अन्य प्रकार द्वारा कुछ शुल्क लेकर एक फॉर्म तथा करेंसी को दूसरे फॉर्म तथा करेंसी में बदलना ।
कुछ ऐसी क्रियाएँ हैं जो वस्तु एवं सेवा कर के अंतर्गत शामिल नहीं हैं, वे वस्तु एवं सेवा कर के दायरे से बाहर हैं तथा इन्हें वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम की अनुसूची III के तहत “न तो वस्तु और न ही सेवाओं” के रूप में वर्गीकृत किया गया है, वे निम्न हैं –
वस्तु एवं सेवा कर देश में करो की संरचना में समानता लाने और अतीत में लगाए गए करों के व्यापक प्रभाव को समाप्त करने वाला सबसे बड़ा कर-सुधार है।
वस्तु एवं सेवा कर परिषद विभिन्न उत्पादों के लिए वस्तु एवं सेवा कर दरों को बदलने के लिए समय-समय पर बैठक करती रहती है | प्रारम्भ में वस्तु एवं सेवा कर को वन नेशन, वन टैक्स और वन रेट के रूप में समझा जाता था लेकिन जब यह कानून भारत में लागू होने वाला था तब आर्थिक असमानता, परिवर्तन को स्वीकार करने के लिए लोगों के रवैये आदि जैसे कई कारणों के परिणामस्वरूप भारत में वस्तु एवं सेवा कर को अलग-अलग कर दरों के साथ लागू किया गया हैं ।
कम्पोजिशन करदाताओं (Composition taxpayer) या छोटे करदाताओं के लिए वस्तु एवं सेवा कर (GST) की निम्न दरें हैं-साथ ही, कुछ वर्गों या श्रेणियों के लिए उपकर (Cess) भी लागू किया गया है।
वस्तु एवं सेवा कर लागू होने के बाद से दरों में बदलाव होता रहता है और माना जाता है कि यह समय के साथ अधिक विकसित होगा।
भारत में वस्तु एवं सेवा कर के तहत पंजीकृत होने के लिए भारत सरकार ने एक व्यापक(Detailed) सूची निर्धारित की है, जिसे इन दो भागों में बेहतर तरीके से समझा जा सकता है-
EGM contains details such asकुल आपूर्ति ( Turnover ) के आधार पर पंजीकरण | अनिवार्य पंजीकरण( कोई टर्नओवर सीमा लागू नहीं होती है ) |
---|---|
वस्तुओ के आपूर्तिकर्ता जिनकी वार्षिक कुल आपूर्ति 40 लाख रुपये से
अधिक है एवं सेवाओं के आपूर्तिकर्ता जिनकी वार्षिक कुल आपूर्ति 20 लाख
रुपये से अधिक है ( जे&के सहित ) उनको वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services
Tax) में पंजीकरण (Registration) कराना अनिवार्य होगा |जे&के को छोड़कर अन्य पूर्वोत्तर
राज्यों तथा पहाड़ी राज्यों (North Eastern Reigon) के लिए 10 लाख रुपये
हैं नोट:-कुल आपूर्ति (Total Turnover) सभी बिक्री का कुल योग होगा चाहे राज्यान्तरिक हो, अंतरराज्यीय हो , निर्यात से हो , छूट या निल रेटेड से हो आदि |
RCM (रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म) के तहत कर का भुगतान करने वाला व्यक्ति |
CTP ( केजुअल टैक्सेबल पर्सन ) | |
NRTP (नॉन -रेजिडेंट टैक्सेबल पर्सन ) | |
एक प्रिंसिपल का प्रतिनिधि | |
अधिसूचित ई-कॉमर्स ऑपरेटर | |
आई एस डी ( इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर ) | |
टी डी एस काटने वाले | |
अगर कुल बिक्री 40 लाख रुपये से अधिक है, तो हस्तशिल्प में काम करने वाले CTP ( केजुअल टैक्सेबल पर्सन ) को पंजीकरण कराना होगा | जो भारत के बाहर के गैर-पंजीकृत व्यक्ति को OIDAR (ऑनलाइन इनफार्मेशन एंड डेटाबेस एक्सेस और रिट्रीवल ) सेवाएं दे रहे हैं। |
ई-कॉमर्स ऑपरेटर (E-commerceoperator) के माध्यम से बेचने वाले व्यक्तियों पर 40 लाख की शर्त लागू होती हैं | | जो पहले से ही पुराने अप्रत्यक्ष कर (Old Indirect Tax) कानूनों के तहत पंजीकृत था |
भारत में वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली (GST Sysytem) को आसान और सुगम बनाने के लिए तथा कीमतों को कम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, दुर्भाग्य से, जिस तरह से वस्तु एवं सेवा कर कानून की संरचना की गई है, भारत में अलग-अलग राज्यों में राजस्व कम होने की संभावना बढ़ गई , उन राज्यों को मदद करने के लिए, सरकार ने क्षतिपूर्ति उपकर (GST Composition Cess) लागू किया हैं |
निम्न उत्पाद क्षतिपूर्ति उपकर के अधीन आते हैंभारत में जी एस टी लागू होने की तारीख से 5 साल की अवधि के लिए क्षतिपूर्ति उपकर या जी एस टी उपकर लागू किया गया है |
वस्तु एवं सेवा कर एक ऐसा कर सुधार है जिसे एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है जहाँ स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा पनप सकती है | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian economy) को वस्तु एवं सेवा कर ( जी एस टी ) से निम्न लाभ हुए हैं –